पार्टनरशीप फर्म व कंपनी को कुछ स्थिति में एलएलपी में कंवर्ट करना फायदेमंद


इंदौर ( राष्ट्रीय जनभावना ) पार्टनरशिप फर्म व कंपनी को कुछ परिस्थितियों में लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप में कन्वर्ट करना फायदेमंद होता है।

टैक्स प्रैक्टीशनर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित पेनल डिस्टिक्शन में यह बात कर विशेषज्ञ में कही।

मुख्य वक्ता सीए मनोज पी गुप्ता ने कहा कि फर्म और कंपनी को एलएलपी में कंवर्ट करने के लिए सभी पार्टनर्स या शेयर होल्डर्स की सहमति होनी चाहिए इसके साथ ही बैंक व अन्य लेनदारों की सहमति भी चाहिए होती है। अपंजीकृत पार्टनरशिप को भी एलएलपी में कंवर्ट किया जा सकता है। लेकिन कन्वर्शन के पूर्व आयकर व जीएसटी के संपूर्ण विवरण फाइल करना जरूरी होगी।


आयकर की धारा 47 (xieib) के प्रावधानो के तहत यदि कंपनी की कुल संपत्ति रु 5.00 करोड़ से ऊपर न हो साथ ही कुल विक्रय रु 60.00 लाख से ऊपर न हो तो कंपनी के एलएलपी पर कन्वेशन पर कोई आयकर नही लगेगा। एलएलपी एग्रीमेंट बहुत ही सावधानी से ड्राफ्ट किया जाना चाहिए अन्यथा कानून में ट्रांसफर मानकर कर लगाया जा सकता हैं।

सीए कृष्ण गर्ग ने कहा कि फर्म या कंपनी के एलएलपी कंवर्सशन करने पर नया जीएसटी नंबर लेना पड़ेगा और कन्वर्सन के पूर्व समस्त रिटर्न फाइल करने होगें । पुरानी फर्म अथवा कंपनी से इनपुट टैक्स क्रेडिट ट्रांसफर करने के लिए सीजीएसटी की धारा 18/3 के तहत फार्म जीए आईटीसी फाइल करना होगा ।टीपीए प्रेसिडेंट सीए जे पी सराफ़ ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर सीए शैलेंद्र सिंह सोलंकी, सीए मनीष डफ़रिया सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद थे

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