भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर का 37वां स्थापना दिवस मनाया गया।
इंदौर-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर का 37 वा स्थापना दिवस , डॉ संजय कुमार, अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली के मुख्य आतिथ्य मे उत्साह पूर्वक मनाया गया |
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सर्वप्रथम संस्थान के निदेशक डॉ के. एच. सिंह साहब ने मुख्य अतिथि का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया एवं डॉ बी. यू. दुपारे, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी फसल उत्पादन ने भूतपूर्व निदेशक डॉ वी.एस. भाटिया जी का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया | इस अवसर पर अपने संक्षिप्त उद्बोधन मे डॉ संजय कुमार ने कहा कि सोयाबीन कि फसल में शहद उत्पादन हेतु मधुमख्खी पालन, सोयाबीन से बने पदार्थों में मटन फ्लैवर युक्त खाद्य पदार्थ बनाना, सोयाबीन प्रजातियों मे तेल कीं मात्रा मे वृद्धि करने के लिए संस्थान द्वारा तकनीकी विकास हेतु प्रयास किए जाने चाहिए | साथ ही नवीनतम तकनीकी अपनाकर सोयाबीन से चीज बनाकर पिज्जा बर्गर में भी उपयोग किया जा सकता है |
उनके अनुसार आधुनिक भारतीय खेती में बढ़ते हुए ड्रोन की संभावना को देखते हुए विपरीत मौसम में खरपतवार प्रबंधन, कीट रोग नियंत्रण हेतु अत्यंत उपयुक्त होगी | डॉ संजय कुमार जी ने यह भी कहा कि शिक्षित युवाओं को खेती मे स्टार्ट अप प्रारंभ कर ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार की संभावना बढ़ेगी जिससे बेरोजगारी की समस्या से समाधान हो सकेगा |
उन्होंने आधुनिक तकनीकी रिमोट सेंसिंग, सेंसर बेस्ड, इमेजिंग बेस्ड तकनिकी का उपयोग सोयाबीन मे करने का सुझाव दिया | इस क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू किए जा सकते है, जिससे गांव के बच्चे स्टार्टअप के माध्यम से अन्य लोगों को रोजगार उपलब्ध कर सकेंगे | इसके साथ – साथ वर्टिकल फ़ार्मिंग, हाइड्रोफोनिक, एरोफोनिक आधुनिक तकनीकी सोयबीन की किस्मों के निर्माण में कार्य किया जा सकता है, जिससे कृषि का स्वरूप भी बदला जा सकेगा | उनके अनुसार सोयाबीन में म्युटेशन ब्रीडिंग का प्रयोग कर कुछ वर्षों में सोयबीन की नवीन किस्में विकसित की जा सकती है |
इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के रूप में संस्थान के भूतपूर्व निदेशक डॉ वी. एस. भाटिया ने संस्थान के वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं तथा कृषकों के सामूहिक प्रयासों से सोयाबीन की उत्पादन क्षमता को ओर बढ़ाने हेतु आव्हान किया |
संस्थान के निदेशक डॉ के. एच. सिंह ने संस्थान की उपलब्धिओं की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि विगत वर्ष पूरे भारतवर्ष के लिए अखिल भारतीय समन्वित सोयाबीन अनुसंधान परियोजना के माध्यम से सात किस्मों का विकास किया गया है, जिसमें संस्थान की 3 किस्में भी शामिल है जैसे जे. एस. 22-12, जे. एस. 22-16, आर.एस.सी. 1135, कम समयावधि वाली एन.आर. सी. 181, एन.आर.सी. 165 एवं वेजीटेबल किस्म एन.आर.सी. 188 का समावेश है | ट्रेडिशनल फूड को बढ़ावा देकर उद्यमशीलता विकसित की जा सकती है | सोयबीन फूड की रेसिपी विकसित कर रेडी टू इट हेल्दी फूड सुलभता से उपलब्ध करवाया जा सकेगा |
इस अवसर पर भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा प्रकाशित कृषक उपयोगी प्रकाशनों का विमोचन किया गया जैसे विस्तार “सोयाबीन की आधुनिक खेती” पर विस्तार बुलेटिन, राजभाषा पत्रिका “सोया वृत्तिका”, तकनीकी बुलेटिन “सोयाबीन कृषकों के लिए सलाह”, सोया खाद्य उपयोग कर तकनीकी बुलेटिन “सोया प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन व उपोत्पादन उपयोगी विभिन्न तकनीक” का विमोचन किया गया है | इस दौरान मुख्य अतिथि के द्वारा संस्थान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया | सर्वोत्तम कार्य हेतु वैज्ञानिक वर्ग में डॉ शिवकुमार, तकनीकी वर्ग में डॉ निखिलेश पण्ड्या तथा कुशल सहायक श्रेणी में श्रीमती सागर बाई को पुरस्कृत किया गया. साथ ही संस्थान परिसर की स्वच्छता में टीम वर्क का पुरस्कार श्री श्याम किशोर वर्मा ने जबकि प्रशासकीय कार्य में शत प्रतिशत बजट उपयोग हेतु श्री सौरभ मीना ने पुरस्कार प्राप्त किया. इस समारोह में सोयाबीन प्रजातियाँ का विकास करनेवाले प्रजनक वैज्ञानिक डॉ अनीता रानी एवं डॉ विनीत कुमार को एनआरसी 150 एवं एनआरसी 152 जबकि डॉ संजय गुप्ता, डॉ ज्ञानेश सातपुते, डॉ शिवकुमार, डॉ नटराज, डॉ वंगाला राजेश को सोयाबीन क़िस्में एनआरसी 130, एनआरसी 131 एवं एनआरसी 157 के विकास हेतु प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के दौरान सोयाबीन फसल की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संस्थान के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ हुसैन, डॉ अंसारी, डॉ बिल्लौरे एवं तकनीकी कर्मचारी डॉ योगेन्द्र मोहन, डॉ सुरेंद्र कुमार तथा जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले श्री अजय कुमार, श्री शक्ति पाल सिंह, श्री निर्भय सिंह को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का संचालन सुश्री सलोनी मंडलोई ने किया एवं आयोजन सचिव डॉ बी. यू. दुपारे, प्रधान वैज्ञानिक ने आभार व्यक्त किया |
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