शहर की स्वच्छ छवि को धूमिल करते यह अपराध*
*शहर की स्वच्छ छवि को धूमिल करते यह अपराध*
जब भी शहर की फिजा में कुछ सुकून बरसता है जैसे की सूखी जमीन पर बारिश की बूंदे तब कहीं कोई ऐसा संगीन जुर्म फन उठाता है कि हर नागरिक उस अपराध उस जुर्म से हताहत होकर उस सुकून को भूल जाता है बारिश की खूबसूरत बौछारें कांटों सी चुभने लगती है। पिछले कई दिनों से जब भी अखबार की सुर्खियां देखूं तो कोई चेन स्नेचिंग का मामला दिखता है तो कहीं चोरी का डकैती का लूट का क्या हो गया है मेरे शहर को और क्या हो गया है उस युवा पीढ़ी को तो इस तरह के अपराधों में अपने आप को गिरफ्तार होने देती है क्या जिम्मेदार इस बात से बाअसर है कि क्यों यह अपराध जन्म लेता है ।।
आखिर क्या कारण कि शहर की साँसे सिसक रही है कही ये तो नही कि किसी को रुपयों की भूख है तो किसी को विलासिता का शौक है , किसी को रईसों से इर्षा तो किसी को गरीबी का डर है ।। और भी इस अनेकोंअनेक कारण होंगे जो अपारदृशी होंगे मगर उस व्यक्ति की नीयत और वजूद को हिलाने के लिए पर्याप्त होंगे। इन सबसे भी वृहद जो एक वजह है वो हे नशा खोरी जो अब सिर्फ सिग्रेट और शराब् तक सीमित नही वो ड्रग्स के साये मे जकड़े जा चुके हैं।
बड़ी शान से आम हो या विशेष सभी जन मानस का घर से निकलना दूभर कर दिया आये दिन चैन खींचने वालों ने , रात की नींद खराब कर दी चोरी चकारी करने वालों ने और छुट्टियों मे शहर से बाहर विचरण करने वालों का सुकूंन लूट लिया इन बंद मकानों मे लूट करने वालो ने।।
बड़े आराम से चैन लुटेरा लूटे हुए माल को शान से या तो बाजार मे बेच देता है या किसी गोल्ड लोन देने वाली बैंक से लोन लेकर रफू चक्कर हो जाता है वाह भाई कोई ये नहीं पूछता कि कहा से लाया सामने वाला बेचने को जबकि छ
छिना हुआ मंगलसूत्र हो या चैन टूटा तो होगा फिर भी नही।। वजह सब अपने मे लगे है अपना फायदा देखो कायदा कौन देखे !!
कानून इनको ले सबसे पहले आड़े हाथ
क्या सुनार
क्या बैंक
क्या पेढ़ी वाला
का गाड़ी वाला
और क्या कबाड़ी वाला
*सचिन वर्मा*
*लाइब्रेरियन*
9752810641
sachinvermamim@gmail.com
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