`नहाय-खाय' से छठ महापर्व शुरू; आज होगा खरना छठ महापर्व की `श्रद्धा' कोरोना महामारी पर भारी



इंदौर: आज  'नहाय-खाय'  के  साथ  चार  दिवसीय  छठ महापर्व  पुरे देश के साथ मालवांचल  में  भी  आरंभ  हो गया। छठ  व्रतधारियों  ने  इस  अवसर  पर  पूर्ण  धार्मिक  पवित्रता  एवं  निष्ठा  के  साथ  अपने- अपने  घरों  की  सफाई  कर, स्नान किया।  तत्पश्चात  पूर्ण  पवित्रता  के  साथ   घर  में  बने  शुद्ध  शाकाहारी  कद्दू,  चने  की  दाल, चावल  एवं अन्य  शाकाहारी  पदार्थों  से  बना  भोजन  ग्रहण किया। पहले दिन की पूजा के बाद से ही व्रतियों द्वारा नमक का त्याग कर दिया जाता है। छठ पर्व के दूसरे दिन बुधवार (19  नवंबर) को खरना मनाया जाएगा।  इस दिन व्रती दिन भर व्रत रख कर शाम को मिटटी के बने चूल्हे पर शाम को गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी का प्रसाद भगवान सूर्य को भोग लगाएंगे और फिर इस प्रसाद को ग्रहण करेंगे।  तत्पश्चात शुरू होगा उनका 36 घंटे के निर्जला उपवास।

छठ पर्व के तीसरे दिन  20    नवंबर (शुक्रवार) को अस्ताचलगमी सूर्य को व्रतधारियों द्वारा जलकुण्ड में खड़े रह कर अर्घ्य दिया जाएगा तथा  छठ महापर्व का समापन  21  नवंबर  (शनिवार) को व्रतियों द्वारा उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने के पश्चात होगा। प्रसाद  के रूप में सूर्य भगवान् को  विशेष प्रकार का पकवान 'ठेकुवा' और मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं तथा उन्हें दूध एवं जल से अर्घ्य दिया जाता है। कोरोना महामारी  के बीच शहर के पूर्वोत्तर समाज के लोगों में छठ महापर्व के उत्साह में कोई कमी नहीं है , समाजजन उसी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ छठ महापर्व की तैयारियों में लगे हैं।  हालांकि अधिकांश समाज के लोग इसबार सार्वजनिक जलकुण्डों की अपेक्षा अपने अपने  घरों में ही छठ महापर्व मनाने का निर्णय लिया है, ऐसे श्रद्धालुगण जिनके  घर पर छठ पर्व मनाने की सुविधा नहीं है वे स्थानीय प्रशासन की अनुमति से  सामाजिक दुरी एवं अन्य  कोरोना गाइड लाइन का अनुपालन  करते हुए शहर के पिपलियाहाना जैसे कुछ  जलाशयों तथा कृत्रिम जलकुण्डों में अपने अपने परिवार  के साथ बिना किसी भीड़ भार के सूर्यदेव को अर्घ्य देंगे।  शहर के कई आयोजन समितियों द्वारा सार्वजानिक कृत्रिम जलकुण्डों पर छठ नहीं मनाने के निर्णय के पश्चात भी छठ घाटों की साफ़ सफाई एवं उसके रंग रोगन में लगे हुए हैं।  श्याम न नगर छठ आयोजन समिति के टी एन झा ने कहा कि इस वर्ष भले ही हम सब अपने अपने घरों में छठ पर्व को मनाने का निर्णय लिया है पर छठ घाट हमारे लिए मंदिर के सामान है और इन घाटों की सफाई हम उतनी ही श्रद्धा से कर रहे हैं.

कोरोना के प्रकोप के कारण समाज अनेकों लोग इस वर्ष छठ मनाने के लिए बिहार के अपने घरों को प्रस्थान कर चुके हैं, वहीँ कई श्रद्धालुओं में असमंजस की स्थिति है कि छठ कहाँ मनाया जाय क्योंकि इस व्रत को छोड़ा नहीं जाता।  ऐसे श्रद्धालुओं के लिए शहर के छठ आयोजन समिति के पदाधिकारी उपयुक्त घाटों, जलाशयों में सूर्यदेव को  अर्घ्य देने में सहायता कर रहे हैं ताकि वो बिना भीड़ इकट्ठा कर छठ महापर्व मना सकें।       

 





       

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