दादी जी मै और मेरेपन से कोसों दूर थी दादी जी देवत्व की मर्मस्पर्शी मूर्ति थी

इंदौर, 26 अगस्त। दादी प्रकाशमणी जी में अद्भूत नेतृत्व कला थी वे विश्व कल्याण की भावना से ओत प्रोत होकर, स्वयं को निमित्त समझकर प्यार से जो आदेश देती थी हरेक दिल से उसको स्वीकार करता था। दादी जी मै और मेरेपन से कोसों दूर थी उनकी मान्यता थी कि खुद को हेड समझने से ही हेडेक होता है इसलिए स्वयं को करनहार, परमपिता परमात्मा को करावनहार समझकर ईश्वरीय सेवाओं को आगे बढाया। उक्त संस्मरण कल ( 25 अगस्त ) ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासकिा रही राजयोगिनी दादी प्रकाशमणी की 13 वीं पुण्य स्मृति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम “ पारस्पारिक सद्भाव से विश्व बंधुत्व” के अवसर पर ब्रह्माकुमारीज महाराष्ट्र जोन की निदेशिका संतोष दीदी मुम्बई ने उच्चारे।
 इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज धार्मिक प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा प्रयागराज उत्तर प्रदेश की ब्रह्माकुमारी मनोरमा दीदी ने कहा कि दादी जी देवत्व की मर्मस्पर्शी मूर्ति थी उनका दातापन का भाव हरेक को दाता बना देता था । दादी के मन में दया, करुणा, उदारता इस कदर था कि समाज में देश में जब भी विपदा आई चाहे पशुओं के चारे की समस्या, चाहे राजस्थान गर्मियों में पानी की कमी हुई हो या कहीं बाढ की स्थिति हा,े चाहे गुजरात में आये भूकम्प स्थिति हो इन प्राकृतिक आपदाओं का समाचार सुनते ही दादी जी का हृद्य पसीज उठता था और आबू संस्था के मख्यालय से मेडिकल टीम राहत सामग्री आदि की व्यवस्था कर तत्काल लोगों को आपदाग्रस्त स्थान पर रवाना करती थी। आपने उडीसा में आये बाढ के प्रसंग की स्मृति दिलाते हुए कहा की उस समय ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय में समर्पित सभी भाई बहनों ने कपड़े व बिस्तर से लेकर अन्य सभी स्वयं की आवश्यकता की वस्तुयें दे दिया बाढ़ पीडितों के लिये ।
  इंदौर जोन की मुख्य क्षेत्रीय समन्वयक ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि दादी जी के कार्यकाल में ही संस्था विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त कर संयुक्त राष्ट्र में अशासकीय संगठन की परामर्शदाता की सदस्यता प्राप्त की। कई विश्व सेवा की योजनायंे बनाकर उन्हें क्रियान्वयन किया। दादी जी को इन सेवाओं के लिए अतंराष्ट्रीय शांतिदूत पुरुस्कार 5 अन्य शांतिदूत पुरुस्कार एवं मोहन लाल सुखाडिया युनिवर्सिटी से डाक्टरेड
इस अवसर पर ओंकारेश्वर के श्री 108 स्वामी सच्चिदानंद गिरी महाराज ने कहा कि हम सच्चे दिल के प्रेम से भगवान के दिल को भी जीत सकते हैं प्रेम, करुणा, सद्भाव से विश्व बंधुत्व की स्थापना होगी ।
ग्लोबल हैपीनेस लीडर डाॅ. गुरुमीत सिंह नारंग ने कहा कि हम सबका ईश्वर पिता एक है जिसे सभी धर्म की आत्माओं ने स्वीकारा है, देह के, जाति धर्म से उपर उठकर आत्म स्वरुप में स्थित हो परमात्मा पिता से संबंध जोडने से ही विश्व बंधुत्व वसुधैव कुटुम्ब की स्थापना होगी।
अंतराष्ट्रीय कवि प्रो. राजीव शर्मा ने मुख्यालय माउण्ट आबू में हुए दादी जी के अंग संग का अनुभव सुनाते हुए कहा कि दादी प्रकाशमणी ने मनुष्य को ईश्वर से जोडने का कार्य किया। वे इतनी सरल एवं सहज थी कि संस्था के सर्वोच्च पद पर होने बावजुद समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति से इतने प्यार से मिलती थी कि हरेक दिल को अंदर तक झंकृत कर देता था। वे विन्रमता की मूर्त थी।  इस अवसर दादी जी के सेवाओं की वीडियों फिल्म दिखाई गई एवं दुर्ग के प्रसिद्ध गायक युगरतन भाई ने दादी जी की विशेषताओं को गीतों में पिरो कर सभी को भाव विभोर कर दिया। सभी ने विश्व कल्याण की मंगल कामना करते हुए दादी जी को अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किये। कार्यक्रम का संचालन
ईश्वरीय सेवा में


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