: "आयो बसंत "
* आयो बसंत ने खिली गयो मन ।
छय गया सब जगे पीत सुमन ।।
पुलकित प्रकृति, करी रय ।
हृदय से बसंत को अभिनंदन ।।
* कोयल कूकी री डालीहुण पे ।
नाची रयो मयूरो मन ।।
धीमी बयार चाली री ।
मदमस्त हुय गयो पवन।।
* तितलीहुण इठलाती उड़ी रई ।
भंवरा हुण करि रया गुंजन ।।
स्वच्छ हुई गयो नील गगन ।
पंछी कलरव से महक्यो उपवन ।।
* बौर झाड़ पे अई गया ।
पीला सरसों खिल्या चमन ।।
पतझड़ गयो ने आयो बसंत ।
सबके मिल्यो नवो जीवन ।।
* मन अनुराग से भरी गया ।
करी रिया अधर निवेदन ।।
हिली-मिली ने रो सगला ।
हुई जाय यो सफल जनम ।।
* पुलकित प्रकृति, करी रय । ह्रदय से बसंत को अभिनंदन।
सुश्री हेमलता शर्मा 'भोलीबैन'
नाना बाजार, आगर-मालवा
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