जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था--से नि लेफ्टिनेंट जनरल सैय्यदअता हसनेन
इंदौर--अध्यन शाला एवं विश्व संवाद केंद्र इंदौर द्वारा इंदौर प्रेस क्लब ऑडिटोरियम में आयोजित पीओके गिलगित एवं बलिस्तान का सुरक्षा की दृष्टि से रणनीतिक महत्व के विषय पर बोलते हुए श्री हसनेन ने कहा कि , पाक द्वारा अतिक्रमित कश्मीर से भी ज्यादा है। चीन के साथ हमारा विवाद सिर्फ सीमा पर है वह भी इसलिए की कोई चेकपोस्ट आदि नही बने है। लेकिन पाकिस्तान के साथ हमारा विवाद विचार धारा का है। उन्होंने सामरिक महत्व के इन हिस्सों को सामाजिक व भौगोलिक स्थिति को विस्तार से समझाया। सियाचिन के बारे कहा की सियाचिन सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा नही है, बल्कि सेवा के लिए सामरिक व मानसिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।
कैप्टन आलोक बंसल ने गिलगित व बलिस्तान व अन्य पाक अधिकृत हिस्सों में प्रीइस्लामिक संस्कृति के महत्व को विस्तार से बताया। उन्होने कहा की यह संस्कृति पाकिस्तान की वर्त्तमान संस्कृति से एकदम भिन्न है। पाकिस्तान इन हिस्सों को देश के तरह नही बल्कि गुलामो की तरह रखता है। पाक अधिकृत कश्मीर को पाक अतिक्रमित कश्मीर कहना उचित होगा। एशिया के इस भाग में कई इस्लामिक देश है और भारत को अपना पक्ष रखना भी आसन नही होता इसलिए इस विषय पर विस्तृत जानकारी और उचित योग्यता होना आवश्यक है। उन्होंने कहा की सनातनी संस्कृति से अधिक उदार कोई संस्कृति नही है। इसलिए भारतीय राष्ट्रवादियो को स्वयं को लिबरल यानी उदारवादी कहना चाहिए।
डॉ. अपूर्व पुराणिक ने भी भारतीय सनातन धर्मं व भारतीय संस्कृति को सबसे उदार संस्कृति बताते हुए कहा की राष्ट्रवादी ताकतों के पास उचित सहित्य लेखक व विचारको की कमी है। सभी व्यक्तियों को अपने अपने स्तर पर विचारवान व मूलचिन्तक बनना चाहिए। राष्ट्रीय व राष्ट्रवादी विचारधारा पर उचित चिंतन व साहित्य की रचना होना जरुरी है।
प्रस्तुतिकरण के बाद प्रमुख वक्ताओ ने श्रोताओ के प्रश्नों का समाधान किया।
कर्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अपूर्व पुराणिक ने की। कार्यक्रम का संचालन श्री प्रेम जी जोशी ने किया। कार्यक्रम का आभार श्री देवेन्द्र जी दुबे ने माना।
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