मन में परोपकार की भावना जागृत होना ही नर से नारायण बनने की प्रवृत्ति- प.रीतेश जी शुक्ल


 


भोपाल --  ईश्वर भक्ति का सबसे सरल माध्यम है परोपकार। परोपकार और दूसरों का कल्याण करने से ईश्वर प्रसन्न ही नहीं होते बल्कि यह प्रवृत्ति मनुष्य को ईश्वर बनाने का एक प्रबल  माध्यम भी है ,पुरातन वैदिक काल में इसके कई उदाहरण मिलते हैं। इन्ही गुणों की बजह से लोग महान बने। आज आज के समय में लोगों के आचरण में सिर्फ दिखावा है।  माण्डूक्य उपनिषद में मनुष्य को क्या और कैसा ज्ञान और आचरण ग्रहण करना चाहिए इसका विस्तृत वर्णन बताया गया है। इसके लिए लोगों में जागृति लाना परम आवश्यक है। यह बात पण्डित रीतेश शुक्ल ने कही


श्री शुक्ल शनिवार को होशंगाबाद के बाबई में आयोजित कार्यक्रम में उपनिषद पर व्याख्यान दे रहे थे। ब्राह्मण एकता अस्मिता सहयोग संस्कार मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे । होशंगाबाद और बैतूल से भी लोग व्याख्यान सुनने आये थे।  मंच के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी एवं प्रेम गुरु ने बताया कि उपनिषद पर व्याख्यान का यह कार्यक्रम पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है। जिसमें उपनिषद के मर्मज्ञ पंडित रीतेश शुक्ल व्याख्यान देकर लोगों को भारतीय सनातन संस्कृति एवं परंपराओं से रुबरु भी करते हैं तथा इन्हें सहजने प्रेरित भी करते हैं। पिछले दिनों सागर के ढाना में आयोजित उपनिषद व्याख्यान के कार्यक्रम में भी बड़ी संख्या में लोग इन्हें सुनने जुटे थे। इस श्रृंखला का अगला कार्यक्रम भोपाल स्थित बीजेपी प्रदेश कार्यलय के नानाजी देशमुख वाचनालय में नियत किया गया है।


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