विपत्ति में जो साथ निभाए वही सच्चा मित्र शक्ति मन्दिर में हवन भंडारे के साथ मिला कथा को विराम


भोपाल। सुख के समय हमारे बहुत सारे मित्र होते हैं , हमारे लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं लेकिन उन्हीं में से कई मित्र उस समय चेहरा छुपा लेते हैं जब आप विपत्ति में होते हैं । सच्चे मित्र की पहचान ऐसे समय ही होती है। उक्त बातें स्थानीय ओल्ड सुभाष नगर स्थित श्री शक्ति मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक व्यास पं. विवेक महाराज ने कहीं। वे कृष्ण सुदामा प्रसंग का उल्लेख कर रहे थे। 


भागवत कथा के अंतिम दिन सोमवार को महाआरती के बाद भोग वितरण किया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह भगवान का नाम है। परमात्मा सत्यता के मार्ग पर प्राप्त होते हैं। मन, बुद्धि, इंद्रियों की वासना को समाप्त करना है तो हृदय में परमात्मा की भक्ति का दीप जलाना पड़ेगा। ईश्वर का प्रतिरूप ही परोपकार है।


भागवताचार्य जी ने कथा के अंतिम दिन शुकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद्भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। आयोजक शक्ति उत्सव समिति की सचिव श्रीमती मंजूश्री बारकिया के अनुसार हवन में मुख्य यजमान श्री श्यामाचरण सक्सेना एवं श्रीमती रामदेवी सक्सेना ने सपरिवार पूर्णाहुति दी। इनमें उनके सुपुत्र सुबोध, सुनीत एवं बेटी दामाद प्रमोद सक्सेना श्योपुर, सुबोध श्रीवास्तव इंदौर, शिवम श्रीवास्तव एमपी नगर के साथ ही आर के कौशिक ओल्ड सुभाष नगर भी यजमान के रूप में शरीक हुए। सम्पूर्ण आयोजन के दौरान डीएन राव प्रगति नगर, दशरथसिंहजी पद्मनाभ नगर, डॉ एमके साहू, शैलेश सोनी, शिवनाथ शाह, राजीव चतुर्वेदी, आशीष सोनी, रोहित कालरा, राकेश चौरे, संजय सोनवाने, विनोद मीणा आदि का योगदान सराहनीय रहा


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