खोकराकलां में सामान्य हुई स्थिति रेस्क्यू कर 17 लोगों को बचाया पीड़ितों को स्थानीय स्कूल भवन में रुकवाया
शाजापुर, 28 जुलाई 2019/ जिले की कालापीपल तहसील के ग्राम खोकराकलां में आज प्रातः बांध के तटबंध टूटने से निचले हिस्सों में जलभराव हो गया था, इससे निपटने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और डीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू कर 17 लोगों को बचाया। जलभराव से पीड़ित लोगों को स्थानीय स्कूल भवन में रुकवाया गया है तथा उनके भोजन की व्यवस्था भी जिला प्रशासन द्वारा की गई।
खोकराकलां में जलभराव की सूचना मिलते ही कलेक्टर डॉ वीरेंद्र सिंह रावत तत्काल ग्राम में पहुंचे उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और त्वरित कार्रवाई के लिए राहत एवं बचाव कार्य शुरू कराए। खोकराकलां में 27 जुलाई की रात्रि अत्यधिक तेज बारिश हुई, इससे यहां का ग्वालियर स्टेट द्वारा वर्ष 1916 में बनाया गया तालाब आज प्रात लगभग 8ः30 बजे टूट गया, इससे ग्राम खोकराकलां में जला हुआ जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
विधायक, कमिश्नर और आईजी भी पहुंचे स्थिति का जायजा लेने
ग्राम खोकराकलां में जलभराव की सूचना मिलते ही उज्जैन संभाग कमिश्नर श्री अजीत कुमार और आईजी श्री राकेश गुप्ता भी स्थिति का जायजा लेने ग्राम खोकराकलां पहुंचे। प्रातः से ही स्थानीय विधायक श्री कुणाल चौधरी भी यहां मौजूद थे।
सर्वे करने के निर्दश
खोखराकलां में जलभराव से नुकसानी के आकलन के लिए राजस्व एवं पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को सर्वे करने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि जलभराव से पशुओं की हानि की सूचना है।
ग्वालियर स्टेट ने बनाया था तालाब
खोखराकलां तालाब, ग्राम खोखराकलां से 2 किलोमीटर तहसील मुख्यालय कालापीपल से 16 किलोमीटर तथा जिला मुख्यालय शाजापुर से 106 किलोमीटर दूर है। यह तालाब ग्वालियर स्टेट द्वारा वर्ष 1916 में निर्मित कराया गया था। इसकी स्टोरेज क्षमता 1.02 एमसीएम है। इसका केचमेंट एरिया 23.40 वर्ग किलोमीटर है। तालाब का रूपांकित सिंचाई 160 हेक्टेयर है। इस तालाब से 3 ग्राम क्रमशः खोकराकलां, झुन्डी एवं खोखरा खुर्द के किसान लाभान्वित हो रहे थे।
कालापीपल तहसील में विगत 27 जुलाई की रात्रि में कुल 161 एमएम औसत वर्षा हुई है। इस क्षेत्र में इससे कहीं अधिक तेज बारिश हुई ग्रामीणजन बताते हैं कि उन्होंने इसके पहले कभी इतनी तेज बारिश नहीं देखी। तेज बारिश के चलते 28 जुलाई को प्रातः लगभग 8ः30 बजे तालाब की पाल 20-25 मीटर टूट गई, जिससे ग्राम के निचले इलाकों में तेजी से पानी भर गया था।
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